औरत के लिए By Nazm << नटराज दो बूँद पानी >> आओ कि एक पत्थर ख़ामोश झील में उतार दें सुकूत लहरों में बदल दें कि ठहराव अज़ाब है और जुमूद क़ातिल!! मसीहाई रगों में ले कर आफ़ियत की चटानों में कहीं खो जाओगे तो तुम आओ अभी!! मज़लूम का दर्द पनपने न पाए!!! Share on: