क्या मेरी आँखों में सन्नाटा है नहीं बर्फ़-बारी हो रही है लोग मुझ से ख़ौफ़ खाने लगे हैं जैसे मुर्दे से क्या मुझ से काफ़ूर की बू आती है नहीं तो मेरी साँसों में सावन का अबस और अमलतास की गर्मी है और साँसो और आँखों के दरमियान फ़ासला ज़ियादा नहीं फिर भी बहुत है इस लिए कि ख़त्म हो जाए तो स्ट्रगल ही ख़त्म हो जाए ज़िंदगी को जारी तो रखना है इंतिक़ाम रात बहुत पड़ी है अलाव जलता रहे तो अच्छा है जानवर धुएँ से ख़ौफ़ खाते हैं और इंसान राख से आग मेरा सुहाग है आशिक़ों के दिलों पर हाँ नहीं होते कि माँग निकाल कर आग भर दी जाए इस लिए उन के दिल फट जाते हैं आग अंदर उतर जाती है ऊपर बर्फ़ गिरती रहती है कपास के फूलों पर मोहर्रम का मौसम है या-हुसैना वा-हुसैना कपास धुनकी हुई आसमाँ की छाती से बरसती है ठंडी ठार पलकें भी नहीं झपकतीं पलकों की झालरें सफ़ेद हो जाती हैं बर्फ़ बन कर उन में अटी रहती है और अंदर बरामदे ख़ाली हो जाते हैं सीज़न मग जाता है लड़की नाख़ुन काटती है तो चाँद उस की हथेली पर उतर आता है तुम्हारा दूल्हा बहुत ख़ूबसूरत होगा दोनों हथेलियाँ जोड़ो तो भला चाँद तो पूरा हो गया मगर रौशनी हाथों में बंद नहीं हो सकी फैल गई हथेलियों में छेद थे साइंटिफिक सी बात है आग अमीर सुहाग सब लड़कियों के दिलों में नहीं जलती इस लिए कि सब लड़कियाँ आशिक़ नहीं होतीं महबूबाएँ होती हैं और उन की आँखों के बरामदे ख़्वान से सजे रहते हैं बर्फ़-बारी उन के लिए सीज़न है मेरे लिए मौसम अपने मशरिक़ मअ'नों के साथ सूरज तुलूअ' होता है बर्फ़-बारी और बुलंदियों पर चढ़ गई जानवर मैदानों में निकल आए पलकें ख़ाना-ब-दोश हो गईं अपना सावन उठाए उठाए घाट घाट दो बंद पानी इस्लाम-आबाद में न राजस्थान में बर्फ़ की नहर निकाली जाएगी और महबूबाएँ आग के बिस्तर पर लेट कर मीठी बर्फ़ के गोले चूसेंगी अभी उन की उम्र ही क्या है अभी तो ये लोग स्माल-चिकेन्स-ऑफ़-इस्नेक पालती हैं माथे पर कुंडल डालती हैं चाहे जाने के लिए लम्बी सुनहरी कार और दो बूँद पानी न बर्फ़िस्तान में न आतिश-दान में लड़की की जिंस तब्दील हो रही है लड़की का दूल्हा दो बूँद पानी की ख़ातिर हवा हो गया लड़की इस्केयर-क्रो हो गई शायद दूल्हा के भाइयों के खेतों में अच्छा है दर-बदरी होने से तो बच रही बच रही तो उसे बचाने उस का दूल्हा ज़रूर आएगा