ब-याद-ए-'जिगर'

हर तरफ़ थी तिरी पुकार जिगर
हर जगह था तू नग़्मा-बार जिगर

उम्र भर तो तुझे क़रार न था
आख़िरश आ गया क़रार जिगर

सूनी सूनी सी है हर इक महफ़िल
उजड़ी उजड़ी सी है बहार जिगर

जब मोहब्बत का ज़िक्र आएगा
आएगा याद बार-बार जिगर

रश्क करते थे फूल गुलशन में
तुझ को काँटों से था वो प्यार जिगर

शायरी तुझ पे नाज़ करती थी
और तू उस पे था निसार जिगर

बे-ख़ुदी तुझ को ज़ेब देती थी
था ख़ुदी का तू राज़दार जिगर

हर अदा तेरी एहतिराम-तलब
हर ग़ज़ल तेरी शाहकार जिगर

तुझ से शेर-ओ-अदब की अज़्मत थी
हर जगह तू था बा-वक़ार जिगर

शग़्ल-ए-मय भी तिरा मिसाली था
अज़्म-ए-तौबा भी यादगार जिगर

किस को रोते हैं जाम-ओ-पैमाना
अल्लह अल्लह तिरा वक़ार जिगर

अल्लह अल्लाह तेरी हक़-गोई
तुझ पे रहमत हज़ार बार जिगर

तेरे दिल में था वो ग़म-ए-इंसाँ
जिस की हर सम्त है पुकार जिगर

हर दुखी दिल की तर्जुमानी की
था सभी का तू ग़म-गुसार जिगर

नस्ल-ओ-क़ौम-ओ-वतन के हंगामे
थे बहुत तुझ को नागवार जिगर

तेरे पैग़ाम तक न पहुँचे जो
वो सियासत है ख़ाम-कार जिगर

छू गए थे जिन्हें क़दम तेरे
रास्ते हैं वो यादगार जिगर

शो'ला-ए-तूर आतिश-ए-गुल हैं
लाख फ़िरदौस दरकिनार जिगर

अल्लह अल्लह वो अज़्म-ए-हज तेरा
रहमत-ए-हक़ से हम-कनार जिगर

और वो ना'त-ए-पुर-ख़ुलूस तिरी
वो तिरी रूह की पुकार 'जिगर'

शर्म-ए-इस्याँ दिल-ए-तपीदा पर
वो भरोसा वो इंहिसार जिगर

वो लताफ़त कि दीदा-ओ-दिल का
गोशा गोशा है पुर-बहार जिगर

वो जगह भी है प्यार के क़ाबिल
जिस जगह है तिरा मज़ार जिगर

भूल सकता नहीं तुझे कोई
यूँ तो शाइ'र हैं बे-शुमार जिगर


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