ऐ गर्दिश-ए-अय्याम बस अब रोक न मुझ को ऐ काविश-ए-अंजाम बस अब रोक न मुझ को ऐ लग़्ज़िश-हर-गाम बस अब रोक न मुझ को जाना है मुझे दूर बहुत दूर बहुत दूर सरमाया-ओ-साज़िश के फ़रेबों से गुज़र कर हंगामा-ओ-शोरिश के फ़रेबों से गुज़र कर हर मंतिक़-ओ-दानिश के फ़रेबों से गुज़र कर जाना है मुझे दूर बहुत दूर बहुत दूर वो जन्नत-ए-शद्दाद हो या आतिश-ए-नमरूद हर मंज़िल-ए-मौहूम नहीं मंज़िल-ए-मक़्सूद कामिल है अगर शौक़ तो राहें नहीं मसदूद जाना है मुझे दूर बहुत दूर बहुत दूर ख़ार-ओ-ख़स-ओ-ख़ाशाक की दुनिया से भी आगे मेहर-ओ-मह-ओ-अफ़्लाक की दुनिया से भी आगे तख़्ईल की इदराक की दुनिया से भी आगे जाना है मुझे दूर बहुत दूर बहुत दूर