ऐ ख़ुदा काश मैं ख़ुदा होता और तू फिर मिरी जगह होता तुझ को करता मैं ऐसे घर पैदा जिस का घर हो न जिस के भाई बहन पैदा करते ही तुझ को मैं तेरे रात की तरह काले चेहरे पर गहरे चेचक के दाग़ फैलाता और आँखें भी छीन लेता मैं लोग कहते कि कोड़िया है तू तेरे होने से छे बरस पहले बाप भी तेरा ख़ुद-कुशी करता उसी फुट-पाथ पर उसी घर में और माँ तेरी पेट की ख़ातिर बेच कर जिस्म अपना गलियों में तेरे और अपने पेट को भरती लोग कहते कि तू है ना-जाएज़ क्या तेरा दिल नहीं तड़पता फिर और माँ तेरी ता'ने सुन सुन कर तुझ को दिन-रात कोसती रहती पैदा होने से काश पहले ही मेरे बच्चे तू मर गया होता ऐ ख़ुदा काश मैं ख़ुदा होता