बताऊँ खाया है क्या मैं ने आज दो थप्पड़ दुरुस्त कर के गए हैं मिज़ाज दो थप्पड़ हकीम नब्ज़ मिरी देख कर ये कहने लगा तिरे मरज़ का है असली इलाज दो थप्पड़ ये गाल गोरे थे जो आज लाल लाल हुए कि इन पे कर गए हल्का मसाज दो थप्पड़ वो मेरा भाई है उस पर भी ध्यान दो अम्मी मैं खाऊँ चार तो खाए सिराज दो थप्पड़ न नाश्ता करे खाए न लंच और डिनर बजाए खाने के खाई है ताज दो थप्पड़ तमाम दिन नहीं कुछ काम पीटने के सिवा हमारी अम्मी का है काम काज दो थप्पड़ हमारी अस्ल ख़ताएँ तो वो बता न सकीं पर आपा दे के गईं हम को ब्याज दो थप्पड़ बहुत ही हम तो हैं बे-शर्म हाँ मगर अक्सर हमारे चेहरे पे लाए हैं लाज दो थप्पड़ ये डर है मैं जो बड़ा हो के भी रहा जाहिल न मार दे मेरे मुँह पर समाज दो थप्पड़