मुर्ग़े ने झूट बोला मुर्ग़े की चूँ चूँ हो गई बकरी ने झूट बोला बकरी की पूँ पूँ हो गई मथुरा में तीन बंदर जाते थे रोज़ मंदर कहता जो बात पुजारी रखते वो याद सारी बुरा कभी न देखो बुरा कभी न बोलो बात जहाँ हो बुरी कान वहाँ न खोलो जिस ने बुराई सीखी उस की तो यूँ यूँ हो गई दिल्ली का एक कव्वा चिड़िया से इक दिन बोला आओ पकाएँ खिचड़ी मिल-जुल के खाएँ खिचड़ी चावल का दाना मेरा मूँग का दाना तेरा लेने गया वो पानी चिड़िया थी चोर की नानी चुपके से खा के दाना चक्की में किया ठिकाना कव्वे ने चक्की पीसी आई आवाज़ सी सी चिड़िया ने चोरी की थी चिड़िया की सूँ सूँ हो गई मुर्ग़े ने झूट बोला मुर्ग़े की चूँ चूँ हो गई बकरी ने झूट बोला बकरी की पूँ पूँ हो गई