ईद के दिन कुछ छोटे बच्चे भोले भाले सीधे सादे एक जगह पर आ कर बैठे अपनी जाँच लगे सब करने आपस में यूँ बोले बच्चे किस ने कितने रोज़े रक्खे सब से पहले बोला दारा मैं ने रक्खे पूरे बारह सफ़्फ़ो बोली मेरे तेरह तुम से एक ज़ियादा रक्खा बानो बोली मेरे छे हैं भाई दारा से आधे हैं हूँ भी तो मैं छोटी उन से इसी लिए कम रोज़े रक्खे यूँ ही थे सब कहते जाते अपने रोज़े गिनते जाते सुनता था सब बैठा मुन्ना सोच के यूँ वो सब से बोला मैं ने भी रक्खे हैं रोज़े तुम सब से हैं ज़्यादा मेरे सब बोले तुम ने कब रक्खे वो बोला मैं ने सब रखे इक इक दिन में दो दो रोज़े सफ़्फ़ो मेरे गिनो तो रोज़े मुन्ना की ये बातें सुन कर ख़ूब हँसे ख़ुश हो कर बच्चे ईद तो सच-मुच बच्चों की है या फिर रोज़ा-दारों की है