अब्बा तो चले गए हैं दफ़्तर अम्मी को बुख़ार आ रहा है छम्मन तो गया हुआ है बाज़ार जुम्मन खाना पका रहा है ज़ैबुन को उसी का ताज़ा बच्चा पक्का गाना सुना रहा है अमजद सोफ़े पर कोएले से काला तोता बना रहा है असलम दादी की ले के तस्वीर उस की मूँछें उगा रहा है तौक़ीर ब्लेड के कमालात क़ालीन पे आज़मा रहा है छे सात तिपाईयाँ मिला कर अकबर गाड़ी चला रहा है तसनीम बनी हुई है घोड़ा जो मेज़ पे भागा जा रहा है 'अख़्तर' पर्दे की झालरों से बिल्ली को दुल्हन बना रहा है नन्हा इक़बाल लेटे लेटे नदी नाले बहा रहा है सुनते हैं कि अनक़रीब इन का एक और भी भाई आ रहा है