ये तज़ाद-ए-जान-ओ-जसद जिसे तू विसाल कह ले फ़िराक़ में तू नशात कह ले मिराक़ में तू रुवाक़ कह ले कि बहर-ओ-बर मैं मज़ाक़ कह लूँ कि ख़ैर-ओ-शर तेरे मेरे कहने में कुछ नहीं कि तिरा यक़ीन मिरा गुमाँ कि मिरा गुमान तिरा यक़ीं तिरे दर्क-अो-होश-अो-हवास की मिरे वज्द-ओ-वहम-ओ-क़यास की यही एक पल तो असास है यही एक पल तिरे पास है यही एक पल मिरे पास है इसी एक पल को मुरूर है इसी एक पल को दवाम है इसी एक पल को क़याम है इसी एक पल को सलाम है न हयात अज़ल न अजल अबद यही पल अज़ल यही पल अबद!