ख़ूब बादल का बरसना प्यार है बरसात में रहमतों का इस तरह इज़हार है बरसात में अर्श से आया ज़मीं में जज़्ब पानी हो गया आप को आने में हम तक आ रहे बरसात में ऐ ख़ुशा दिल अब तो सैलाब-ए-मोहब्बत आएगा आज तो बा-चश्म-ए-नम दिलदार है बरसात में यूँ तो पीने के बहुत चर्चे हैं बज़्म-ए-ज़ोहद में कौन काफ़िर है जिसे इंकार है बरसात में तार बारिश का न टूटे बज उठें तार-ए-जुनूँ आफ़रीं दामान-ए-दिल भी तार है बरसात में दूसरे सब मौसमों में हैं रवय्ये सर्द-ओ-गर्म उस के लब पर हाँ मगर इक़रार है बरसात में ऐ 'सुहैल' उस को ज़रा खुल कर बरसना चाहिए एहतियात-ए-हुस्न-ए-दिल दिल बार है बरसात में