अरमान ज़मीं के जाग उठे दिलदार ये पहली बारिश है कल सोच रहा था सारा जहाँ दुश्वार ये पहली बारिश है रंजिश जो हमारे बीच रही तो आग फ़लक ने बरसाई अब सोच न कुछ मौसम को समझ ऐ यार ये पहली बारिश है फ़ितरत में नज़र आते हैं हमें अपनी ही मोहब्बत के पहलू इंकार था गर्मी का आलम इक़रार ये पहली बारिश है एहसास जुदाई दोनों तरफ़ आँखों से मेरी आँसू हैं रवाँ उस पार न जाने कैसा समाँ इस पार ये पहली बारिश है ग़ुंचों पे अजब शादाबी है और जाग उठी है हरियाली तम्हीद बहार-ए-ताज़ा का दीदार ये पहली बारिश है तू और कहीं मैं और कहीं आग़ोश-ए-तमन्ना सूनी है ऐसा तो कभी पहले न हुआ इस बार ये पहली बारिश है वो रहम-ओ-करम है बिल-आख़िर मुझ को तो 'सुहैल' इस पर है यक़ीं बस उस की इनायत का यारों इज़हार ये पहली बारिश है