बरसों पहले By Nazm << कभी माज़ी को दफ़नाओ आओ >> बरसों पहले मैं ने तुम्हें हाशिए पे रख कर अपनी कहानी लिखी थी आज मैं ख़ुद हाशिए पे खड़ा अपनी कहानी में सिर्फ़ तुम्हें पाता हूँ Share on: