कभी माज़ी को दफ़नाओ By Nazm << कहते हैं बरसों पहले >> कभी माज़ी को दफ़नाओ कभी ख़ुद को भी समझाओ न ख़ुद पे इतना इतराओ इन आँखों को न तरसाओ न अंगारों को दहकाओ ख़यालों को न बहकाओ ज़रा जज़्बात महकाओ मिरे कश्मीर आ जाओ Share on: