एक उर्दू के प्रोफ़ेसर का बेटा 'मई' अपनी माँ को ख़त लिखा करता था हिन्दी में सदा एक दिन पूछा मियाँ उर्दू में क्यों लिखते नहीं आई उर्दू डोंट नो सर फ़ख़्र से उस ने कहा जब ये पूछा पढ़ लिया करती हैं वो देवनागरी हँस के बोला माई मम्मी डोंट नो हिन्दी ज़रा किस तरह मालूम होता है उन्हें मज़मून-ए-ख़त बोला ख़त पढ़ कर सुना देता है कोई दूसरा किस ज़बाँ में माँ तुम्हें देती हैं इस ख़त का जवाब शी हमेशा राइट इन उर्दू मुझे उस ने कहा कैसे फिर मालूम होता है तुम्हें मज़मून-ए-ख़त बोला मुझ को भी सुना देता है पढ़ कर दूसरा