हम भारत की फुलवारी के रंग बिरंगे फूल इक दूजे को काँटा समझें ये है अपनी भूल एक ही धरती से हम सब ने जन्म लिया है साथी रंग-ओ-रूप इसी धरती से हम ने लिया है साथी एक हवा में साँस हैं लेते एक फ़ज़ा में जीते हैं गंगा और जमुना का पानी हम सब मिल कर पीते हैं रंग-ओ-रूप अलग अलग है फिर भी एक है जीवन अलग अलग है अपनी क्यारी फिर भी एक है जीवन भारत देस की फुलवारी को मिल कर ख़ूब सजाएँ सारे जग में प्यार की ख़ुश्बू हम बच्चे फैलाएँ