घर की छत से चाँद पर सीढ़ी लगाऊँगा कोई आए या न आए मैं तो जाऊँगा रात भर उड़ता फिरूंगा मैं ख़लाओं में कल तो फिर स्कूल शायद आ न पाऊँगा मेरी अम्मी ने तो यूँ ही कह दिया होगा मिल गई कोई परी तो खेंच लाऊँगा चाँदनी आती है मुँह पर नींद क्या आए मैं ही नानी जान को क़िस्से सुनाऊँगा ख़्वाब की फिल्में वहीं से नश्र होती हैं भूत बन कर मैं तुम्हें 'तारिक़' डराऊँगा