रुकती साँसें हैं और सीना मौत के पाँव तले है जीना ओघट घाट भँवर के चक्कर डग-मग है जीवन का सफ़ीना ग़म और आँसू आँसू और ग़म ग़म खाना और आँसू पीना बरखा-रुत वीरानों की है चाँदनी क़ब्रिस्तानों की है मन में लहर कभी उठती थी बात ये अब अफ़्सानों की है जैसे साए रेंग रहे हों हालत ये इंसानों की है हम से ग़ाफ़िल तक़दीरें हैं बे-दस्त-ओ-पा तदबीरें हैं ख़ुश्क लबों की मुर्दा आहें भूके पेट की तफ़्सीरें हैं कैसे कहें हम भी जीते थे अब तो बे-जाँ तस्वीरें हैं जीते हैं और मर नहीं सकते बेबस हैं कुछ कर नहीं सकते फूलों की ख़ुशबू आती है दामन उन से भर नहीं सकते दुनिया दुनिया कहने वाले दुनिया अपनी कर नहीं सकते सब का पालनहार किधर है दुनिया उस का ही तो हुनर है बने खिलौने टूट रहे हैं उफ़ ये घरौंदा ज़ेर-ओ-ज़बर है कुछ रोते हैं कुछ हँसते हैं और फिर दोनों का ये घर है