बिल्ली की इस शादी का हाल सुनो मुन्ने-भय्या दूल्हा और बराती थे दूल्हा के सब साथी थे ढम ढम बजती थी ढोलक ढम ढम ढम ढम्मक ढम्मक बिल्ले ढोल बजाते थे चूहे गाना गाते थे धम धम गोले छुटते थे फूल हवा में लुटते थे कैसा धूम-धड़क्का था कैसा धक्कम-धक्का था दूल्हा हाथी पर चढ़ कर आया दुल्हन के घर पर चाँद सा मुखड़ा दुल्हन का माथे पर उस के टीका खाना ख़ूब मज़े का था क्या बतलाएँ क्या क्या था पकवान और मिठाई थी बर्फ़ी दूध मलाई थी! क़ाबों में था गोश्त भरा सब ने वो डट कर खाया आन नई थी शादी की शान नई थी शादी की