बोलती है क्या टर-टर बातूनी बिट्टू चुप नहीं रहती लहज़ा भर बातूनी बिट्टू रुक नहीं सकती एक ही साँस में बोलती जाए उल्टा सीधा बे-मतलब जो मुँह में आए भाई कहें मैं पढ़ता हूँ मत ध्यान बटाओ बाजी बोलीं भागो मेरे कान न खाओ बोले कोई किसी से तो ये बीच में टपके बात करे तो उचके मटके आँखें झपके जब देखो तब लारा लारा री री री री जब देखो तब हाहा हाहा ही ही ही ही अम्मी अम्मी वो जो हैं नाँ आंटी सरवर आज पहन कर आईं थी इक नीला जंपर हाँ नीला सा कुछ ऊदा कुछ नीला नीला लगता था कुछ उन के ऊपर ढीला ढीला लड़ने लगी फिर मुझ से वो बिल्क़ीस की बच्ची इस डिबिया का ढकना तो है बिल्कुल पच्ची महर ने ली बिल्क़ीस की चुटकी हू हू हू हू ऐनी की गुल से नहीं बनती हू हू हू हू इफ़्फ़त और मैं झूला झूलते बारी बारी ख़ाला बी की चोटी है क्या लम्बी सी बानो के घर आई है बोलती मीना बाजी होता है इक टाँग का मुर्ग़ा है ना बाजी करती हैं क्यों शाम को चिड़ियाँ चें चें चें चें अब्बू आप ज़रा फज़लू के कान तो खींचें वो देखो फिर आन के बैठा छत पर कव्वा बावा आदम की थीं बीवी मामा हव्वा दूर से आता देखें तो घबराईं पड़ोसन लोग कहें लो वो आ धमकीं बी-बकवासन बिट्टू बी बी सुन तो लो सब हँसते हैं तुम पर देखो थोड़ी देर ज़रा ख़ामोश भी रह कर