शादी के ब'अद घर में जब आती हैं बीवियाँ शर्म-ओ-हया का ढोंग रचाती हैं बीवियाँ पहले तो शौहरों को पटाती हैं बीवियाँ तिगुनी का नाच फिर ये नचाती हैं बीवियाँ हर शब शब-बरात बनाती हैं बीवियाँ कुछ दिन के ब'अद छक्के छुड़ाती हैं बीवियाँ पहले-पहल तो कहती हैं तुम हो मिरे बलम तुम मिल गए तो हो गए दुनिया के दूर ग़म तुम पर हज़ार जान से क़ुर्बान मैं सनम कुछ दिन के ब'अद कहती हैं शौहर को फिर ख़स्म पहले तो ख़ूब सर पे चढ़ाती हैं बीवियाँ क़दमों में इस के ब'अद गिराती हैं बीवियाँ खा खा के गोश्त वेट न अपना बढ़ाइए जो मैं बना रही हूँ वो चुप-चाप खाइए इस वक़्त घर में आइए उस वक़्त जाइए जाना कहाँ है जाने से पहले बताइए इस तरह कंट्रोल में लाती हैं बीवियाँ हाकिम को भी ग़ुलाम बनाती हैं बीवियाँ वो संतरी हो कोई कि हो कोई मंत्री होता है हावी सब पे ही एहसास-ए-कमतरी कैसा भी शेर-दिल हो बहादुर हो या जरी रहती है जिन के ख़ौफ़ से दुनिया डरी डरी ऐसे बहादुरों को दबाती हैं बीवियाँ फिर उँगलियों पे उन को नचाती हैं बीवियाँ बच्चों की बात छोड़िए बेगम का है ये हाल ग़ुस्से में यूँ समझिए कि हर शय पे है ज़वाल समझाए कौन ऐसे में किस की है ये मजाल इस शोर-ओ-गुल में शाएरी करना भी है मुहाल क़ैंची-सिफ़त ज़बान चलाती हैं बीवियाँ टर-टर से फिर दिमाग़ दुखाती हैं बीवियाँ ससुराल में हो शादी तो ख़र्चा हो कम जनाब मैके में है तो ख़र्च ये करती हैं बे-हिसाब वो सास या ससुर हों कि देवर हो सब ख़राब आया हुआ है मैके से कुत्ता भी ला-जवाब कुछ इस तरह दिमाग़ पे छाती हैं बीवियाँ शौहर के रिश्ते-दार छुड़ाती हैं बीवियाँ