मैं ने छोड़ा जो पटाख़ा तो बुरा मान गए ख़्वाब-ए-ग़फ़लत से जगाया तो बुरा मान गए हम को भी दादी की इस चीज़ पे हक़ हासिल था खा लिया थोड़ा सा हलवा तो बुरा मान गए मेरी तौहीन थी खटमल से मकोड़े से शिकस्त नोचना जो पड़ा तकिया तो बुरा मान गए अब भी बाक़ी हैं वही ज़ुल्म-ओ-सितम टीचर के जो कहा लफ़्ज़-ए-अहिंसा तो बुरा मान गए फ़ेल करता ही तो आया हूँ सभी साल मगर अब की डैडी को सुनाया तो बुरा मान गए मैं भी सीने में तो आख़िर वही दिल रखता हूँ रात पिक्चर से जो आया तो बुरा मान गए जी में आया था कि कुछ छुप के कमा लूँ शोहरत एक ही शेर चुराया तो बुरा मान गए कोई मुझ सा न हो महरूम जहाँ में 'आदिल' हाल-ए-दिल जब भी सुनाया तो बुरा मान गए होती आई है कि अच्छों को बुरा कहते हैं क्या हुआ मैं भी जो अच्छा तो बुरा मान गए