चलो इक बार फिर दरिया किनारे जहाँ पहले-पहल हम तुम मिले थे जहाँ से बेबसी जाने लगी थी जहाँ से ज़िंदगी गाने लगी थी जहाँ से रश्क सा आने लगा था जहाँ से नश्शा सा छाने लगा था जहाँ से रत-जगे की थी नुमाइश जहाँ से दीप राहों में जले थे चलो इक बार फिर दरिया किनारे जहाँ पहले-पहल हम तुम मिले थे जहाँ से ख़्वाब आँखों में जगे थे जहाँ से फूल जूड़े में सजे थे जहाँ से रात धानी हो रही थी जहाँ दुनिया कहानी हो रही थी जहाँ दुनिया कहानी हो रही थी जहाँ से आ गया था मुझ को जीना जहाँ से लफ़्ज़ शे'रों में ढले थे चलो इक बार फिर दरिया किनारे जहाँ पहले-पहल हम तुम मिले थे जहाँ से बे-ख़ुदी बढ़ने लगी थी जहाँ से प्यास की शिद्दत जगी थी जहाँ से हौसला तू ने दिया था जहाँ से फ़ैसला मैं ने किया था जहाँ से ज़िंदगी ने ली थी करवट जहाँ से फूल राहों में खिले थे चलो इक बार फिर दरिया किनारे जहाँ पहले-पहल हम तुम मिले थे