जो भी मुश्किल राह में आई पल में थी आसान अपनी हिम्मत से इंसाँ ने मारा वो मैदान मिट्टी बोली मेरे दिल का निकला आज अरमान चाँद पे जा पहुँचा इंसान रॉकेट एक उड़ा धरती से और हवा में पहुँचा उस को हवा से क्या लेना था दूर फ़ज़ा में पहुँचा उस से भी कुछ आगे निकला और ख़ला में पहुँचा हिम्मत मैं तुझ पर क़ुर्बान चाँद पे जा पहुँचा इंसान जो भी मुश्किल राह में आई पल में थी आसान अब मिर्रीख़ भी दूर नहीं है चाँद पे जाने वाले तेरी हिम्मत पर नाज़ाँ हैं आज ज़माने वाले दूर ज़मीं से सय्यारों का खोज लगाने वाले इल्म-ओ-हुनर की एक नई तारीख़ बनाने वाले तेरा काम है आली-शान हिम्मत मैं तुझ पर क़ुर्बान चाँद पे जा पहुँचा इंसान जो भी मुश्किल राह में आई पल में थी आसान