गुज़र रहा है इधर से तो मुस्कुराता जा खिले नहीं हैं जो ग़ुंचे उन्हें खिलाता जा तुझे क़सम है सुकूँ-आज़मा निगाहों की किसी ग़रीब की तक़दीर को जगाता जा वही निगाह वही इक तबस्सुम-ए-रंगीं चराग़-ए-अंजुमन-ए-यास को बुझाता जा जुनूँ-नवाज़ तिरी मस्त-गामियों के निसार कमंद-ए-होश-ओ-ख़िरद से मुझे छुड़ाता जा फ़रेब-ख़ुर्दा-ए-बज़्म-ए-हयात हूँ या'नी मिरी निगाह से अब ये हिजाब उठाता जा उठा के चेहरा-ए-रंगीं से पर्दा-ए-असरार हरीम-ए-दिल को फिर इक बार जगमगाता जा