चाँद By Nazm << होली ख़ौफ़-ए-सहरा >> रौशनी में अपनी अजीब सी कशिश लिए ये गोल दायरा अपने वजूद का एहसास दिलाता है और मुझ से पूछता है तुम कौन हो क्या पहचान है तुम्हारी Share on: