चिड़िया घर में बसने वाली कैसा मिज़ाज-ए-आली है मुन्नू भय्या पूछ रहे हैं क्या कोई पिंजरा ख़ाली है दौड़ में सब से अव्वल चीता जंगल की हर रेस में जीता जल्दी जल्दी बोल रे साथी कच्चा पपीता पक्का पपीता जंगल के सुल्तान को देखो शेर-ए-बबर की शान को देखो ऐसा बहादुर कोई नहीं है दिल वाले मेहमान को देखो भाग रहा है हाँप रहा है डर के मारे काँप रहा है बुज़दिल गीदड़ नाम है उस का देखो कैसा भाँप रहा है हाथी सूंड हिलाने वाले लम्बे दाँत दिखाने वाले दरिया दरिया जंगल जंगल भारी बोझ उठाने वाले बातों में बेबाक बहुत है सब पर इस की धाक बहुत है बच्चो इस का नाम बताओ ये बीबी चालाक बहुत है बन-मानुस के खेल अजब हैं सर्कस जैसे सारे ढब हैं ऐसे खेल कहाँ से सीखे देखने वाले हैराँ सब हैं नाच दिखाने वाले भालू तू काला तेरा नाम है कालू किस से है तिरी रिश्ता-दारी तू आख़िर है किस का ख़ालू डुग डुग डुग डुग बंदर आए ख़ुशी ख़ुशी ससुराल को जाए छन-छन छन-छन नाचे बंदरिया जैसे मदारी चाहे नचाए ज़ेबरा देखो धारियों वाला पाया जिस ने रूप निराला सुब्ह भी इस की शाम भी इस की आधा गोरा आधा काला ये कछवे से हारने वाला झूटी शेख़ी बघारने वाला आख़िर मुँह की खा जाता है औरों को ललकारने वाला साँप जो पल पल बल खाते हैं बीन बजे तो लहराते हैं लहराएँ तो जागे सोए लाखों रंग नज़र आते हैं कंठी पहने तोते आए हरे हरे से पर फैलाए मिठ्ठू बेटा पढ़ लेते हैं कोई इन को अगर पढ़ाए सारस देखो कितना बड़ा है बादल जैसे आन पड़ा है मछली आए और पकड़ लूँ पानी में चुप-चाप खड़ा है वो देखो वो आया ज़राफ़ा जैसे कोई बेरिंग लिफ़ाफ़ा हम देते हैं उस को दुआएँ गर्दन में हो और इज़ाफ़ा