हर इक मकाँ में जला फिर दिया दिवाली का हर इक तरफ़ को उजाला हुआ दिवाली का सभी के दिल में समाँ भा गया दिवाली का किसी के दिल को मज़ा ख़ुश लगा दिवाली का अजब बहार का है दिन बना दिवाली का जहाँ में यारो अजब तरह का है ये त्यौहार किसी ने नक़्द लिया और कोई करे है उधार खिलौने खेलों बताशों का गर्म है बाज़ार हर इक दुकाँ में चराग़ों की हो रही है बहार सभों को फ़िक्र है अब जा-ब-जा दिवाली का मिठाइयों की दुकानें लगा के हलवाई पुकारते हैं कि लाला दिवाली है आई बताशे ले कोई बर्फ़ी किसी ने तुलवाई खिलौने वालों की उन से ज़ियादा बन आई गोया उन्हों के वाँ राज आ गया दिवाली का