चिड़ियों ने बे-तरह सताया है मेरे कमरे को घर बनाया है छत पे उन को जहाँ मिली है जगह इक न इक घोंसला बनाया है ऐन मेरे पलंग के ऊपर है जो हिस्सा वो उन को भाया है तार बिजली का है जो छत पे लगा वो तो मीरास ही में पाया है कोई खूँटी हो ताक़ हो दर हो उन की जागीर में वो आया है सर पे बीटों का मेंह बरसता है बे-ढब ऐसा ये अब्र छाया है तकिया पर मेज़ पर किताबों पर मोहर का सा निशाँ बनाया है हिस्सा मुझ को भी कुछ मिला है ज़रूर जब चिड़ा तिनके ले कर आया है उन की चूँ चूँ का राग सुन कर दिल गाना सुनने से तंग आया है सब के सर पर ख़ुदा का है साया मुझ पे उन के परों का साया है इस क़दर बीट करती हैं कम-बख़्त नाक में दम हर एक का आया है सुब्ह से लड़ रही हैं आपस में सर पे सारा मकान उठाया है पढ़ नहीं सकता लिख नहीं सकता इस क़दर शोर-ओ-ग़ुल मचाया है ऐसा मालूम होता है गोया मेरा कमरा नहीं पराया है