जहाँ फ़र्द अपनी जगह अंजुमन है जहाँ हर कली इक महकता चमन है जहाँ की ज़मीं रश्क-ए-चर्ख़-ए-कुहन है जहाँ शोख़ियाँ हैं अदा है फबन है जहाँ सादगी में भी इक बाँकपन है जहाँ रक़्स-फ़रमा हवा मौजज़न है जहाँ शेरियत है जहाँ क़दर-ए-फ़न है जहाँ इल्म-ओ-फ़न के लिए इक लगन है जहाँ हैरत-ओ-ज़ोर का भी वतन है जहाँ अंजुमन वाक़ई अंजुमन है जो सच पूछते हो 'सहर' तो वो ख़ित्ता दकन है दकन है दक्कन है दकन है