तुम को सच्ची ये बात समझाती दर्द कुछ कम तुम्हारा कर पाती इस जहाँ में सभी परेशाँ हैं सब के जीवन में ग़म के तूफ़ाँ हैं लोग दुनिया में कैसे जीते है ग़म निगलते हैं अश्क पीते हैं दर्द साँसो के साथ चलता है ग़म का मौसम कहाँ बदलता है ग़म ज़रूरी है दिल को समझाओ थोड़े मज़बूत दिल के हो जाओ