दर्द से गुज़ारिश है थमा रहे By Nazm << धनक-रंग शाम >> जिस गोशा-ए-दिल में है जमा रहे ये क्या कि रग रग में इक हश्र उठा रक्खा है देख यूँ तड़पाने में क्या रक्खा है Share on: