पहाड़ी के उस पार कोई धनक है नहीं है धनक के सिरे पर कोई जादू-नगरी परिस्ताँ ख़ज़ाना मिरा मुंतज़िर है नहीं है मुझे कोई धोका नहीं है समुंदर के उस पार से आने वाली हवाओं में कोई संदेसा नहीं है अगर कुछ नहीं है तो सारी तग-ओ-दौ ये इमरोज़-ओ-फ़र्दा के सब सिलसिले किस लिए हैं उफ़ुक़ से परे मर्ग़-ज़ारों की आख़िर हदों तक पहुँचने की ख़्वाहिश सराबों के धुँदले हयूलों का पीछा ये सब किस लिए है किसी ख़्वाब की कोई सूरत नहीं है ख़ुशी कोई तोहफ़ा नहीं जो क्रिसमस की शब कोई चुपके से दे जाएगा मैं एलिस नहीं हूँ अलिफ़-लैलवी शाहज़ादी नहीं हूँ मैं 'अज़रा' हूँ और मेरे और ज़िंदगी के तअ'ल्लुक़ से जो भी है दुनिया में वो असलियत है मिरी शाइ'री गीत संगीत सब दिल के मौसम चाहने चाहे जाने की ख़्वाहिश में रिश्तों की संगीनियाँ कुछ रिफ़ाक़त के अनमोल मोती मोहब्बत की शबनम में डूबी हुई अध-खिली ज़र्द कलियाँ बुज़ुर्गों से पाई हुई सब मुक़द्दस दुआएँ ज़िंदगानी की सब धूप छाँव ख़ज़ाना है मेरा धनक-रंग मुझ में समाए हुए हैं