नफ़रत की मशअ'लों को फ़ौरन बुझा के रख दो इन मशअ'लों की ज़द में आए अगर पतंगे बे-साख़्ता सरापा मज़लूम आग हो कर बाज़ार से उड़ेंगे खलियान में गिरेंगे बरसों इसी तरह का फिर सिलसिला रहेगा इस सिलसिले में कितनी फ़स्लें तबाह होंगी इस सिलसिले में कितनी नस्लें तबाह होंगी इस सिलसिले में जितनी फ़स्लें तबाह होंगी इस सिलसिले में जितनी नस्लें तबाह होंगी सब बे-क़ुसूर होंगी सब बे-गुनाह होंगी