दयार-ए-वतन

ये है मेरा वतन तुम्हारा वतन
जान-ओ-दिल से हमें है प्यारा वतन

हर अमल से अयाँ हो हुब्ब-ए-वतन
ये है मेरा वतन तुम्हारा वतन

जान दे कर सँवारना है इसे
ज़ब्त-ए-ग़म से निखारना है इसे

भूलना तुम नहीं बड़ों का चलन
ये है मेरा वतन तुम्हारा वतन

हर ख़ुशी को निसार करना है
हर जगह गुल-बहार करना है

सब के दिल में सजाए रखना लगन
ये है मेरा वतन तुम्हारा वतन

बेहतरी का सबब है सब के लिए
रहबरी का सबब है सब के लिए

ये है बाक़ी तो दिल हैं सब के मगन
ये है मेरा वतन तुम्हारा वतन

तेरे अस्लाफ़ की निशानी है
इस से वाबस्ता ज़िंदगानी है

चाँद तारे को लग न जाए गहन
ये है मेरा वतन तुम्हारा वतन

यही पहचान है मुसलमाँ की
इज़्ज़त-ए-नफ़्स है मुसलमाँ की

है दिलों का सहारा सारा चमन
ये है मेरा वतन तुम्हारा वतन

ख़ून-ए-दिल से जलाए हम ने चराग़
बेबसी के मिला दिए सब दाग़

राह दुश्वार मरहले थे कठिन
ये है मेरा वतन तुम्हारा वतन

पाक हो जज़्बा-ए-निहाँ अपना
ये है अपना तो है जहाँ अपना

इस की पेशानी पर न आए शिकन
ये है मेरा वतन तुम्हारा वतन

डर न जाना कहीं ज़माने से
ख़ौफ़ खाना नहीं ज़माने से

राह में आएँ चाहे रंज-ओ-मेहन
ये है मेरा वतन तुम्हारा वतन

इस की हर बात हर अदा इस की
गूँजती जाएगी सदा इस की

याद रखना सदा हमारा सुख़न
ये है मेरा वतन तुम्हारा वतन


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