धब्बा By Nazm << इन किताबों में बंद उजाले ... एक मुसाफ़िर से >> जाने कैसे और कब हवा को पता चला उस धब्बे का जो छुपाया गया न धोया जिसे ता-उम्र छुपाने के लिए वो नुमायाँ हुई वो इक लकीर जो बख़्त में लिखी गई ऐन वस्त में बदन के खींची गई उस की बेटी अब तक ये सोचती है ये किस करम का फल है किस जुर्म की सज़ा Share on: