धरती पर क्या कम है By Nazm << तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ के ब... मेरे सिवा >> ऐ प्यारे मासूम कबूतर क्यूँ नीले आकाश पे जा कर नोच लिए दो दर्जन तारे जग-जग करते रौशन तारे चाँद की लौ कम होती होगी उस की बुढ़िया रोती होगी दाना घर में खा लो दुगना देखो अब तारे मत चुगना Share on: