दिल के शीशे के घर हैं By Nazm << शर्त बहार >> दिल शीशे के घर हैं इन को मत टकराओ फिर कुछ इतने चूर मिलेंगे चेहरे भी आँखों से ओझल होंगे बेहद दूर मिलेंगे ज़हरीली तन्हाई चाहत में उतरेगी सौत-ओ-सदा की लहरों में भी मौज-ए-तलब की ग़ार हलाकत में उतरेगी दिल शीशे के घर हैं इन को मत टकराओ Share on: