दिन और झाग By Nazm << कहाँ है आ जा काउन्टर अटैक >> धूप और दूरियों के दरमियाँ एक आवाज़ सुनाई देती है जैसे मछली सियाह जाल से बे-ख़बर सुनहरी परों से .....पानी काटती है Share on: