हम भी मरते जा रहे हैं बा'द तेरे हम दुखों के आँसुओं के बाद-ओ-बाराँ में निहत्ते दिल के साथ बे-पनाही रास्तों पर पाँव धरते जा रहे हैं दिन गुज़रते जा रहे हैं लम्हा लम्हा ख़ौफ़ के मारे हुए रात दिन के वसवसों में क्या ख़बर क्या बीत जाए अगले पल इस सफ़र में ज़ेहन सोचों के थपेड़ों से है शल और हम ख़ुद ही से डरते जा रहे हैं दिन गुज़रते जा रहे हैं