कितनी मुश्किल है अभी अपनी मुलाक़ात सनम जान ले लेगी ये बे-वक़्त की बरसात सनम तेरी तस्वीर मिरे ज़ेहन पे जब छाती है ज़िंदा रहता हूँ मगर जान निकल जाती है ज़हर पीता हूँ तिरी याद में दिन रात सनम कितनी मुश्किल है अभी अपनी मुलाक़ात सनम वो भी क्या दिन थे किया करते थे मिल कर बातें रंग और नूर में कटती थीं हमारी रातें जाने क्यूँ रूठ गए हम से वो हालात सनम कितनी मुश्किल है अभी अपनी मुलाक़ात सनम