एक फूल बगिया में मैं ने देखा है जिस में एक पंखुड़ी कम है बाक़ी सारे फूलों से पर उसे मयस्सर है एक सा हवा पानी एक जैसे रंग-ओ-बू एक जैसा ही जादू तितलियाँ हों भँवरें हों या किसी की नज़रें हों उस में और औरों में फ़र्क़ ही नहीं करतीं हाँ मगर मिरे प्यारे ये चमन का क़िस्सा था आदमी की बस्ती में इस तरह नहीं होता फूल रोता रहता है फ़र्क़ होता रहता है