दोपट्टा By Nazm << कुछ लफ़्ज़ थे अनमोल रिश्ता >> मैं दुपट्टा नहीं ओढ़ती इस के पीछे एक तल्ख़ हक़ीक़त है मेरी ज़िंदगी मेरी अनमोल दोस्त इस में घिरी और झुलस कर मर गई Share on: