दुख By Nazm << नीलूफ़र और डैडी वालिद साहब के नाम >> दुख बिछड़ने का नहीं होता बल्कि इन रिश्तों के टूटने का होता है जो बरसों की रिफ़ाक़त के बा'द इक पल में टूट जाते हैं और हम तही-दामाँ रह जाते हैं Share on: