दुनिया By Nazm << मुकाफ़ात क़ातिल >> अब याद नहीं सीने में कहीं इक सूरज था सो डूब गया अब अपना दिल है खोट-भरा दुनिया को बदलने उट्ठे थे दुनिया ने बदल डाला कि नहीं Share on: