दूर ही दूर रही बस मुझ से पास वो मेरे आ न सकी थी लेकिन उस को चाह थी मेरी वो ये भेद छुपा न सकी थी अब वो कहाँ है और कैसी है ये तो कोई बता न सकेगा पर कोई उस की नज़रों को मेरे दिल से मिटा न सकेगा अब वो ख़्वाब में दुल्हन बन कर मेरे पास चली आती है मैं उस को तकता रहता हूँ लेकिन वो रोती जाती है