ड्यूटी By Nazm << एक ख़्वाब की दूरी पर सफ़र से लौट आने वाली हवा >> जान मुझे अफ़्सोस है तुम से मिलने शायद इस हफ़्ते भी न आ सकूँगा बड़ी अहम मजबूरी है जान तुम्हारी मजबूरी को अब तो मैं भी समझने लगी हूँ शायद इस हफ़्ते भी तुम्हारे चीफ़ की बीवी तन्हा होगी Share on: