ऐ ख़ामोशी! मेरे ख़ून में छुप के बैठ दुल्हन बन के मेरे चेहरे पर शर्मा आज की शब इस ख़ून में दरिया रोएँगे और बच्चे शोर मचाएँगे ऐ ख़ामोशी! कफ़न हो जैसे रंगत से महरूम तुझ में भी कुछ ऐसी बे-लफ़्ज़ी का मौसम फैले तू भी दम तोड़े मेरी आँखों में उन साँपों में जो साँसों में फुंकारते हैं ऐ ख़ामोशी! तारों से उतर तारीकी के इम्काँ से उभर ऐ ख़ामोशी!