इक बे-धियानी By Nazm << मेरे बस्ते में क्या है बहुत ख़ूब-सूरत हमारा वतन ... >> मैं ठंडे तवे की रोटी हूँ मुझे बे-ध्यानी में डाला गया मुझे बेदर्दी से पल्टा गया मिरे कितने टुकड़े उखड़ गए मैं ठीक से सेंकी जा न सकी मैं किसी चंगीर में आ न सकी मिरा पिसना जलना और गुँधना बे-कार गया मैं हार गई इक बे-ध्यानी मुझे मार गई Share on: