एक ख़्वाहिश By Nazm << मैं बे हूँ इल्तिजा >> शफ़क़ के रंग सारे रंग तुम आँखों में भर लो सुब्ह जब सूरज पहाड़ों से उधर कोहरे में डूबी वादियों में आँख खोले तुम शफ़क़ के रंग सारे रंग उस की नज़्र कर देना Share on: